Wednesday, October 6, 2010

कुरान और विज्ञान -3

 साभार:  डा. जाकिर नाइक : कुरआन और विज्ञान
धरती की अवस्था : गोल या चपटी
प्रारंभिक ज़मानों में लोग विश्वस्त थे कि ज़मीन ज्हप्ती है, यही करण था कि सदियों तक मनुष्य केवल इसलिए सुदूर यात्रा करने से भयाक्रांत रहा , कि कहीं वह ज़मीन के किनारों से किसी नीची खाई में न गिर पड़े ! सर फ़्रांस डेरिक वह पहला व्यक्ति था जिसने 1597  ई. में धरती के गिर्द ( समुद्र मार्ग से ) चक्कर लगाया और व्यवहारिक रूप से यह सिद्ध किया कि ज़मीन गोल ( वृत्ताकार ) है .   
यह बिंदु ज़रा दिमाग में रखते हुए ज़रा निम्लिखित कुरानी आयात पर विचार करें जो दिन और रात  के आवागमन से सम्बंधित है :
أَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ يُولِجُ ٱلَّيۡلَ فِى ٱلنَّهَارِ وَيُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِى ٱلَّيۡلِ


" क्या तुम देखते नहीं हो कि अल्लाह रात को दिन में पिरोता हुआ ले जाता है और दिन को रात में "
(कुरआन : सुर: 31, आयात 29 )
     यहाँ स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि अल्लाह तआला ने क्रमवार रात के दिन में ढलने और दिन के रात में ढलने ( परिवर्तित होने ) कि चर्चा की है , यह केवल तभी संभव हो सकता है जब धरती की संरचना गोल (वृत्ताकार )  हो. अगर धरती चपटी होती तो दिन का रात में या रात का दिन में बदलना बिलकुल अचानक होता . निम्न में एक और आयत देखिये , जिसमें धरती के गोल बनावट की ओर इशारा किया गया है :


 خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَٲتِ وَٱلۡأَرۡضَ بِٱلۡحَقِّ‌ۖ يُكَوِّرُ ٱلَّيۡلَ عَلَى ٱلنَّہَارِ وَيُكَوِّرُ ٱلنَّهَارَ عَلَى ٱلَّيۡلِ
  "उसने असमानों और ज़मीन को बरहक़ ( यथार्थ रूप से  ) उत्पन्न किया है , वही दिन पर रात और रात पर दिन को  लपेटता है "  ( कुरआन : सुर: 39, आयत 5) 


    यहाँ प्रयोग किये गए अरबी शब्द "कव्वर" का अर्थ है किसी वस्तु को दुसरे पर  लपेटना या Overlap  करना या ( एक वस्तु को दूसरी वस्तु पर चक्कर देकर ( तार की तरह )  बांधना. दिन और रात को एक दुसरे पर लपेटना या एक दुसरे पर चक्कर देना तभी संभव है जब ज़मीन की बनावट गोल हो  .

   ज़मीन किसी गेंद की भांति बिलकुल ही गोल नहीं बल्कि नारंगी की तरह (Geo -Spherical ) है . यानि ध्रुव (Poles ) पर से थोड़ी से चपटी है . निम्न आयत में ज़मीन के बनावट की व्याख्या यूँ की गयी है :

وَٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ ذَٲلِكَ دَحَٮٰهَآ
"और फिर ज़मीन को उसने बिछाया " (कुरआन :सुर: 79, आयत 30)
  यहाँ अरबी शब्द "दहाहा"  प्रयुक्त है , जिसका आशय " शुतुरमुर्ग  के अंडे " के रूप , में धरती की वृत्ताकार बनावट की उपमा ही हो सकता है . इस प्रकार यह  प्रमाणित हुआ की पवित्र कुरआन में ज़मीन के बनावट की सटीक परिभाषा बता दी गई है , यद्यपि पवित्र कुरआन के  अवतरण - काल में आम विचार यही था , कि ज़मीन चपटी है.      ..................  जारी है

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